You have to details- 1.Name of the applicants, 2. Mobile number, 3. Aadhaar number, 4. State, 5. Status of Aarogya setu app 7. Gender, 8. Category or Caste ,9. Age, 10. Bank Account Details 12. Number of family members and other Information.
Accident Form - Lab. Reg. Bihar Lab & Rojgar Eshram
डॉ. शिवेन्द्र मोहन (N.D.) ,सम्पादक – साभार समाचार ( हिंदी साप्ताहिक अख़बार ) , प्रकाशक – साईवर प्रेस , छावनी बेतिया 1987 में डिग्री इन कॉमर्स, 1991 में डिग्री इन नेचुरोपैथी , 1993 में दमा चिकित्सालय की परिकल्पना , 1997 में मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण , 2000 में DNHE में प्रवेश रोल न. 013110739 रहा (ईग्नू ), 2005 में प्रथम वर्मी कम्पोस्ट उत्पादक उद्यमी रहा, 2009 में साईवर प्रेस की स्थापना, 2011 में “साभार समाचार” अख़बार को भारत सरकार से पंजीयन, 2017 में एग्रो किवा इंडस्ट्रीज को ज्वाइन किया, 2022 -नमामि गंडक परियोजना, 2022 - जल, खर, दाना परियोजना- जीव की रक्षा करना जीव का कर्तव्य है जैसे बिल्ली या सियार के द्वारा रास्ता काटा जाना । , 2023 - पितृ परियोजना- शिक्षक का धन ज्ञान होता है जिसके गोद में प्रलय और निर्वाण दोनों खेलते है। व्यक्ति का अपमान एक विष के समान है, अपमान से व्यक्ति क्रोधित होता है , क्रोध का प्रदर्शन निश्छल व्यक्ति की पहचान है और क्रोध को जज्ब कर लेना भविष्य के लिए घातक हो सकता है। , 2023-24 ( 15 जन.)- हनुमान चालीसा पाठ अर्पण अभियान। 2024 (22 Jan) - Naturopath OPD 2024 (1 Sep 2024) मजदूर मंच - साभार समाचार का पंचायत स्तरीय कार्यालय का नाम है । सारांश - परिचय, कार्यालय,जनप्रतिनिधि ,कार्य , धन। 18 उत्पाद- 18 प्रखंड के 301 पंचायतो में 18 उत्पाद को शाखा कार्यालय के माध्यम से वितरण। concept - 28 अगस्त 2024 को सवेरा संस्था द्वारा एमजेके कॉलेज बेतिया के मीटिंग हॉल में श्रम पदाधिकारी द्वारा पंचायत स्तर पर कार्य करने की प्रेरणा देना। UCA -व्यक्ति या संस्था के साथ unity contract agreement को sign करना।उद्देश्य - चम्पारण को "जॉब हब" बनाने के लिए क्रियान्यवन। Water Magnet (1996211474) इजात दुजोनी
Project OPD (22 Jan. 2024)– Naturopath OPD, Principal (Dr. Shiwendra Mohan – N.D.) These days O.P.D. Time: 7am to 9am & Workshop Time: 11am to 2pm. BHAVYA शरीर रचना की इकाई कोशिका या सेल होते है - Cell wall ( सेल अंदर श्वास क्रिया सेल वाल द्वारा होता है ), Protoplasm (इसकी बनावट बहुत ही जटिल होती है साधारण तौर से इसका 75 प्रतिशत भाग जल, और 25 प्रतिशत भाग में कार्बोहैड्रेड , चर्बी,नमक और प्रोटीन है ) , Nucleus ( सेल के सारे कार्य करता है जैसे चयापचय, सन्तानोत्पादन,मरम्मत, नियंत्रण, नियंत्रण, जीवन एवं अन्य कार्य ।West Champaran -जिले के 1हजार 5 सौ 55 गाँवो में, 03 हजार 4 सौ 42 स्कूलों, 3 हजार 4 सौ 60 आँगनबाड़ी केंद्र, पर 3 हजार 5 सौ 73 आशा, 7 सौ 55 एएनएम
O.P.D. प्राकृतिक नियम (Law of Nature)– प्रकृति ईश्वरीय विधान का प्रत्यक्ष प्रतिमूर्ति है। उसकी नियमतता , सहज संचालकता और सन्तुलनात्मकता में ही हमें ईश्वरीय सत्ता का आभास होता है। प्रकृति अपना नियम नहीं बदलती तभी तो बाद रात और ग्रीष्म बाद बरसात का क्रम निर्बाध रूप से चलते रहता है। वह अपना संतुलन स्वयं कभी नहीं खराब करती है सूरज अगर तपाता है तो चन्द्रमा शीतलता प्रदान करती है पतझड़ अगर उजड़ता है तो बसंत फिर गुलजार करता है ग्रीष्म धरती को दग्घ करता तो बरसात उसे तृप्त है। यही कारण की प्रकृति का स्वरुप स्वं कभी विकृत नहीं होता यदि कभी उसके स्वरुप में विकृति आती भी है तो वह स्वं उसे दूर भी कर लेती है।
इस प्रकार प्रकृति की सुगढ़ता का आधार उसकी सन्तुलनात्मकता है और इस सन्तुलनात्मकता का आधार है प्रकृति निहित वह क्षमता जिससे वह अपनी विषमताओं के बीच समन्वय स्थापित करती है परस्पर विरोधी शक्तिया, प्रपंचो एवं प्रस्थितियो के बीच समझौता कराती है। फलतः वह अपना संतुलन कभी नहीं खोती। तात्पर्य यह है कि संतुलन एक प्रकृति नियम है। प्रकृति का एक अंश होने कारण हमारा स्वरुप भी तभी अक्षुण रह सकता है जब हम अपने आप को प्रकृति तरह ही संतुलित रखें। प्रकृति की तरह हमारे अंदर भी स्व संतुलन की क्षमता तो है ही. आवश्यकता सिर्फ इस है कि हम अपनी इस क्षमता को क्रियाशील बनावे।
यह संसार किसी से समझौता नहीं करता , समझौता तो व्यक्ति को संसार से करना पड़ता है और जो ऐसा नहीं करता वही उजड़ता है टूटता है विखरता है। जीव शास्त्री भी तो यही मानते है कि धरती से कई जीव प्रजातियां मात्र इसलिए विलुप्त हो गई क्योकि उनका प्रकृति से संतुलन समायोजन स्थापित नहीं हो सका।
मानव संतुलन- शरीर के अंदर-बाहर शारीरिक क्रियाओ का संतुलन , मस्तिष्क और शरीर का संतुलन और आध्यात्मिक अर्थ में ज्ञानेद्रियों और मन का , मन और आत्मा एवं आत्मा और यथार्थ का संतुलन। इन सभी तरह के संतुलनों में आत्मा और यथार्थ का संतुलन विशेष महत्वपूर्ण है। जिस प्रकार भौतिक शरीर और भौतिक वातावरण का असंतुलन शारीरिक रोग और कष्ट उत्पन्न करता है उसी प्रकार आत्मा और यथार्थ का विसंतुलन मानसिक अशांति , क्षोभ और उद्वेग उत्पन्न करता है। इन दुखद मनःस्थितिओ से बचने के लिए जो सर्व सुलभ मार्ग है वह यह है कि हम जीव जगत की वास्त्विकताओ को स्वीकार ले। यह स्वीकृति ही परिवेश के साथ हमारे संतुलन का आधार होती है।
प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति चिकित्सा का साधन हो क्यों ? शरीर और प्रकृति , शरीर के तत्व शरीर में और शरीर सभी तत्व प्रकृति में इसी चीज का ज्ञान बहुतो को है पर प्रकृति के तत्यो को शरीर पर प्रयोग करने मात्रा, रोग , शरीर, पर्यावरण, उम्र और समय के प्रयोग को जानना जरुरी है जिसे अनुभवी चिकित्सक के माध्यम से आपके रोग को ठीक किया जाता है और अनुभवी डॉक्टर के द्वारा किये गए प्रयोग को बेसिक एजुकेशन मानकर कार्य करते रहने से होने वाले अनुभव से आप अपने शरीर के अन्य रोगो से निरोगी रहने कला जान जाते है।
नोट – प्रकृति चिकित्सा जीवनी शक्ति पर काम करती है और कोरोना काल में जीवनी शक्ति के बारे में हम सभी भली भांति परिचित हो चुके है। निम्न तीनो कसौटियों पर परखने के बाद ही किसी व्यक्ति को घर में प्रवेश करावे नहीं तो उस व्यक्ति को अपने घर से दूर रखे। 1. ईश्वर का जिसे भय नहीं , 2. कार्य या आदर्श से स्वाभाव जाने , 3 . लोभी या कामी पुरुष। ॐ ह्रौं हूं वं वीरभद्राय नमः https://www.youtube.com/watch?v=U4c1HSN4nss JANKARI https://www.youtube.com/watch?v=ph60U1uhRr8 पंचायत सदस्य ,वार्ड सदस्य ,सेवा शुल्क, अख़बार हेतु चंदा।
No comments:
Post a Comment