B. P. जे एन सी, सात-२००३ के अनुसार रक्तचाप का निम्न वर्गीकरण, १८ वर्ष से अधिक वयस्कों हेतु बताया जाता है।[2] यह कार्यालय में बैठे हुए लोगों की सही तरीके से ली गयी रक्तचाप रीडिंग्स पर आधारित औसत है।[7][8]
श्रेणी | सिस्टोलिक, मिली मर्करी | डायस्टोलिक, mmHg |
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हायपोटेंशन | < ९० | < ६० |
सामान्य | ९० – ११९ | ६० – ७९ |
प्रीहायपरटेंशन | १२० – १३९ | ८० – ८९ |
स्तर १ हाइपरटेंशन | १४० – १५९ | ९० – ९९ |
स्तर २ हाइपरटेंशन | ≥ १६० | ≥ १०० |
कभी रक्तचाप थोड़ा बढ़ा हो, जैसे (१४६/९६) तो तुरंत दवा लेनी नहीं चाहिये। इससे पूर्व कुछ समय तक अपनी जीवन-शैली में बदलाव लाने का प्रयास करना चाहिये। इसका असर ३ महीने में दिखाई देगा। इसके लिये प्रथम तो भोजन में सोडियम की मात्रा कम करनी चाहिये, सामान्यतः १० ग्राम नमक लोग एक दिन में खाते हैं। इसे कम करके ३ ग्राम तक लाना चाहिये। नमकीन चीजें जैसे दालमोठ, अचार, पापड़ का पूर्णतः परहेज करें। शरीर में ज्यादा सोडियम होने से पानी का जमाव होता है जिससे रक्त का आयतन बढ़ जाता है जिसके कारण रक्तचाप बढ़ जाता है। भोजन में पोटाशियम युक्त चीजें बढ़ाएं, जैसे ताजे फल, डाब का पानी आदि। डिब्बे में बंद सामाग्री का प्रयोग बंद कर दें। भोजन में कैलशियम (जैसे दूध में) और मैगनिशियम की मात्रा संतुलित करनी चाहिये। रेशेयुक्त पदार्थों को खूब खायें, जैसे फलों के छिलके, साग/चोकर युक्त आटा/इसबगोल आदि। संतृप्त वसा (मांस/वनस्पति घी) की मात्रा कम करनी चाहिये।
इसके साथ ही नियमित व्यायाम करना चाहिये। खूब तेज लगातार ३० मिनट पैदल चलना सर्वोंत्तम व्यायाम है। योग/ध्यान/प्राणायाम रोज करना चाहिये। यदि धूम्रपान करते हों तो पूरा बंद कर दें, वजन संतुलित करनी चाहिये और मदिरापान करते हों तो एक पैग से ज्यादा न पीयें।
रक्तचाप रक्तवाहिनियों में बहते रक्त द्वारा वाहिनियों की दीवारों पर द्वारा डाले गये दबाव को कहते हैं। धमनियां वह नलिका है जो पंप करने वाले हृदय से रक्त को शरीर के सभी ऊतकों और इंद्रियों तक ले जाते हैं। हृदय, रक्त को धमनियों में पंप करके धमनियों में रक्त प्रवाह को विनियमित करता है और इसपर लगने वाले दबाव को ही रक्तचाप कहते हैं। किसी व्यक्ति का रक्तचाप, सिस्टोलिक/डायास्टोलिक रक्तचाप के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है। जैसे कि १२०/८० सिस्टोलिक अर्थात ऊपर की संख्या धमनियों में दाब को दर्शाती है। इसमें हृदय की मांसपेशियां संकुचित होकर धमनियों में रक्त को पंप करती हैं। डायालोस्टिक रक्त चाप अर्थात नीचे वाली संख्या धमनियों में उस दाब को दर्शाती है जब संकुचन के बाद हृदय की मांसपेशियां शिथिल हो जाती है। रक्तचाप हमेशा उस समय अधिक होता है जब हृदय पंप कर रहा होता है बनिस्बत जब वह शिथिल होता है। एक स्वस्थ वयस्क व्यक्ति का सिस्टोलिक रक्तचाप पारा के 90 और १२० मिलिमीटर के बीच होता है। सामान्य डायालोस्टिक रक्तचाप पारा के ६० से ८० मि.मि. के बीच होता है।[1] वर्तमान दिशा-निर्देशों के अनुसार सामान्य रक्तचाप १२०/८० होना चाहिए। रक्तचाप को मापने वाले यंत्र को रक्तचापमापी या स्फाइगनोमैनोमीटर कहते हैं।
GLUCOSE- Normal blood glucose level (tested while fasting) for non-diabetics should be 3.9–5.5 mmol/L (70–100 mg/dL).[6][7][8] millimoles per liter (mmol/L) or milligrams per deciliter (mg/dL)
What is Normal HbA1c?
According to the American Diabetes Association, the fasting blood glucose target range for diabetics, should be 3.9 - 7.2 mmol/L (70 - 130 mg/dL) and less than 10 mmol/L (180 mg/dL) two hours after meals (as measured by a blood glucose monitor).[6][7][9]
Normal value ranges may vary slightly between laboratories. Glucose homeostasis, when operating normally, restores the blood sugar level to a narrow range of about 4.4 to 6.1 mmol/L (79 to 110 mg/dL) (as measured by a fasting blood glucose test).[10]
The global mean fasting plasma blood glucose level in humans is about 5.5 mmol/L (100 mg/dL);[11][5] however, this level fluctuates throughout the day. Blood sugar levels for those without diabetes and who are not fasting should be below 6.9 mmol/L (125 mg/dL).[12]
Despite widely variable intervals between meals or the occasional consumption of meals with a substantial carbohydrate load, human blood glucose levels tend to remain within the normal range. However, shortly after eating, the blood glucose level may rise, in non-diabetics, temporarily up to 7.8 mmol/L (140 mg/dL) or slightly more.
The actual amount of glucose in the blood and body fluids is very small. In a healthy adult male of 75 kg (165 lb) with a blood volume of 5 L, a blood glucose level of 5.5 mmol/L (100 mg/dL) amounts to 5 g, equivalent to about a teaspoonful of sugar.[13] Part of the reason why this amount is so small is that, to maintain an influx of glucose into cells, enzymes modify glucose by adding phosphate or other groups to it.[citation needed]
किडनी विज्ञान की भाषा में किडनी की सूजन को नेफ्राइटिस (nephritis) के नाम से जाना जाता है। किडनी में आई सूजन या नेफ्राइटिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें किडनी के मुख्य भाग यानी नेफ्रॉन (nephron) में सूजन आ जाती है। नेफ्रॉन में सूजन आने के कारण किडनी ठीक तरह से खून साफ़ करने में असमर्थ हो जाती है, जिससे व्यक्ति को कई समस्याएँ होनी शुरू हो जाती है। किडनी में सूजन का आना एक गंभीर स्थिति है जिससे समय रहते निजात ना पाई जाए तो रोगी की हालत काफी बढ़ सकती है, जिसमे किडनी भी खराब हो सकती है।
1. अगर खून में पोटेशियम की कमी हो जाए तो व्यक्ति को इंटरस्टीशियल नेफ्राइटिस रोग हो सकता है, जो किडनी में सूजन का कारण बनता है। 2. किडनी में सूजन आने के पीछे बैक्टीरियल संक्रमण भी हो सकता है। इ-कोलाई नामक बैक्टीरिया से किडनी में सूजन आ सकती है, इससे सबसे पहले मूत्र संक्रमण होता है उसके बाद किडनी में सूजन आती है। यह जीवाणु मूत्राशय से किडनी तक पहुंच सकता और वहां पर किडनी में पायलोनेफ्राइटिस पैदा कर सकता है। यह संक्रमण पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में होने की आशंका अधिक होती है। 3. यदि शरीर के अंदर किसी हिस्से में (विशेषकर किडनी के आसपास) विकसित हुआ फोड़ा फूट जाए तो भी किडनी में सूजन आ सकती है। फोड़ा फूट जाने पर खून के माध्यम से संक्रमण किडनी तक पहुँचता है और किडनी में सूजन आ जाती है। (Prague 2m/1f-14g Alcohol) 1 Pound - 0.453592 kilogram
जमीन नापने का फार्मूला क्या होता है?
जमीन की लंबाई नापने के लिए गज, हाथ, गट्ठा एवं जरीब का इस्तेमाल करते है। इसी तरह क्षेत्रफल मापने के लिए उनवांसी, कचवांसी, बिसवांसी, बिस्सा एवं बीघा का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा जमीन को एकड़ और हेक्टेयर में भी नापते है। इन सभी के मात्रकों के बारे में जानकारी यहाँ नीचे टेबल में दी गयी है-
लम्बाई नापने के मात्रक
1 गज= 1 यार्ड/0.91 मीटर/36 इंच
1 हाथ= 0.5 (आधा) गज/18 इंच/1.5 फीट
1 गट्ठा= 5.5 हाथ/2.75 गज/99 इंच
1 जरीब = 55 गज
क्षेत्रफल नापने के मात्रक
1 पक्का बीघा = 1 वर्ग जरीब/3 कच्चा बीघा/20 बिस्से/3025 वर्ग गज/2529 वर्ग मीटर/27225 वर्ग फीट
1 कच्चा बीघा= 6 2/3 बिस्से/1008 वर्ग गज + 3 वर्ग फुट/843 वर्ग मीटर
1 बिस्सा= 20 बिसवांसी/20 वर्ग गट्ठा
1 उनवांसी =0.8361 वर्ग मीटर/24.5025 वर्ग इंच/0.17015625 वर्ग फुट
1 कचवांसी = 20 उनवांसी
1 बिसवांसी = 1 वर्ग गट्ठा/7.5625 वर्ग गज/9801 वर्ग इंच
एकड़ और हेक्टेयर नापने के मात्रक
1 एकड़= 4840 वर्ग गज/4046.8 वर्ग मीटर/43560 वर्ग फीट/0.4047 हेक्टेयर/2.4711 एकड़
1 हेक्टेयर 10000 वर्ग मीटर
1 बीघा में कितने फीट होते हैं?
बिहार 27,220 वर्ग फीट
1 पक्का बीघा=27,225 वर्ग फीट
एकड़ में कितना बीघा होते है?
इसके लिए यहाँ नीचे टेबल दी गयी है-
एकड़ बीघा
1 1.61